छोटीसी गलती | पकडा गया डार्क वेब का मास्टरमाईंड । dark web mastermind arrested by one mistake

Sunil Malkari
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सात देशोंकी पुलिस को जो शक्श की तलाश थी,वह  बैंकॉक में बैठकर डार्क वेब पे वेबसाइट के जरिये काले गैरकानूनी काम  करके करोडो डॉलर कमाया, और एक गलती की और कैसे  पकड़ा गया ?

    क्या करता था गैरकानूनी काम ? 

    २०१० में डार्क वेब को इस्तमाल करे वाले बढ़ गए थे। तभी इस शक्श ने २०१४ में डार्क  वेब पे अपनी एक अल्फाबे नाम की वेबसाइट बनाई। वेबसाइट पे उसका नाम अलफा०२ बताता था। 

    अल्फाबे पे चोरी की गए क्रेडिट कार्ड की जानकारी बेचीं और खरीदी जाती थी। खरीदे और बेचने  के लिए बिटकॉइन का इस्तमाल किया जाता था। वेबसाइट से कमीशन के रूप से पैसे मिल जाते थे। 
    थोड़े ही दिन में वेबसाइट पे क्रेडिट कार्ड की जानकारी के साथ  ड्रग्स ,बंदूके,बॉडी पार्ट जैसे ३ से ४ लाख समानोंको गैरकानूनी तरीके से बेचा और ख़रीदा जाने लगा। 

    एक ही साल में दो लाख से ऊपर लोगोंने वेबसाइट पे सामान ख़रीदा था। और बेचनेवाले पचास हजार तक बढ़ गए थे।उसी साल वेबसाइट पे पांच लाख डॉलर की सेल उहि थी,उसे  लाखो-करोडो  डॉलर का  फायदा हो गया था। 

    उसको पकड़ना इतना मुश्किल क्यों था ? 

    डार्क वेब बनाया गया  ही इसलिए की, वेबसाइट बनाने वाला और उसको इस्तमाल करने वालोंकी जानकारी पूरी तरहसे छुपी रहे। डार्क वेब की वेबसाइट पे जाने  के लिए एक टोर ब्रौज़र का इस्तमाल होता हे, उससे आपका कंप्यूटर की जानकारी और आपका लोकेशन पूरी तरह से छुपा रहता हे।इस कारन  पुलिस को उसको ढूंढ़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता हे। 

    वेबसाइट का सर्वर भी डार्क वेब पे होता हे, इसलिए वह सर्वर कोनसे देश में हे मालूम करना और उसको बंद करना मुश्किल हो जाता हे। 

    अमेरिका की एजेंसी कितने सालो से उसके  सर्वर और लोकेशन की तलाश कर रही थी। 

    शक्श की जानकारी कैसे मिली ?

    २०१७ में पहिला सुराग मिला ,अमेरिका की DEA(ड्रग इंफ़ोर्मेंट एडमिनिस्ट्रेशन ) एजेंसी में काम करने वाले robbert miller को एक बेनाम शक्श का मेल मिलता हे ,उसमे उस शक्श ने वेबसाइट के सुरवाती दिनों में signup
    किया था। और उसको वेबसाइट के तरफसे वेलकम मेल आया था। उस मेल संभाल रखा था। उस वेलकम मेल में वेबसाइट के मालिक का नाम अलेक्स लिखा था। 

    इस एक ही सुराग से अमेरिकन एजेंसी ने अपना काम चालू किया ,कही सोशल मीडिया वेबसाइट उस एक नाम को ढूंढ़ने का काम करने लगे। तभी Skyrock.com नाम के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पे उसके कही फोटो मिले ,फोटो २००८ और २००९ के थे। 

    एक डेटिंग वेबसाइट पे उसका लोकेशन ढूंढ़ने में भी कामयाभी मिली। लोकेशन था कनाडा एक शहर ट्रोइस रेविएरेस। 

    उसीतरह उसका असली नाम भी ढूढ़ लिकला , २००८ में उसने एक फ्रेंच फॉर्म में एक पोस्ट लिखा था उसमे उसका असली नाम अलेक्सांद्रे  कॉज़ेस मिला। 

    असली नाम मिलने के बाद उस नाम से अमेरिकन एजेंसी को एक बड़ी कामयाभी मिली।  फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में उसकी गर्लफ्रेंड मिली वह थाईलैंड की रहनेवाली थी। इस सुराग से एजेंसी थाईलैंड में उसको ढूंढ़ने में लग गई। 

    अमेरिकन एजेंसी और थाईलैंड एजेंसी ने मिलकर उसको बैंकॉक में ढूंढ निकला। 

    कैसे किया अरेस्ट ?

    पुलिस कई दिन तक उसका पीछा करती रही। देखतेही उसको पुलिस पकड़ सकती थी, मगर कोर्ट में बिना सबूत के गुन्हेगार साबित करना मुश्किल होता। 

    सबूत हाशिल करना भी एक बड़ा काम था। डार्क वेब पे वेबसाइट थी,और वेबसाइट का डाटा ही एक साबुत था। 
    मगर वेबसाइट का डाटा हासिल करने के लिए उसका कंप्यूटर या मोबाइल मिलना जरुरी था। 

    मगर एक बड़ी समस्या थी की उसका कंप्यूटर या मोबाइल अनलॉक मिलना चाइये, क्यों की कंप्यूटर ,मोबाइल,वेबसाइट डाटा सब पासवर्ड से लॉक हो सकता था। बिना पासवर्ड से उसको खोलना बहुत ही मुश्किल था। 

    जब वह कंप्यूटर और मोबाइल पे काम कर रहा हो तब उसको रंगे  हांतो पकड़ने के लिए एजेंसी ने प्लान बनाना चालू किया। 

    क्या था प्लान ?

    ५ जुलाई २०१७ का सुबह अलेक्सांद्रे अपने लैपटॉप पे काम कर रहा था। तब पुलिस ने प्लान बनाया और एक लेडी एजेंट को एक में बिठा कर उसको बोला गया की, उसके बंगले के गेट पे गाड़ी ठोक दे। 

    और प्लान कामयाब हो जैसे ही एक्सीडेंट का आवाज होता हे, अलेक्सांद्रे अपना लैपटॉप बेडरूम में खुला छोड़ कर घर से बाहर भाग के आता हे। 

    तभी पुलिस उसको पकड़ लेती है। लैपटॉप खुला होने के कारन पुलिस को सब सबूत भी मिल जाता हे। 

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